-आनन्द.पाठक-
कविता 16
बचपन से
रंग बिरंगी शोख तितलियाँ
बैठा करती थी फूलों पर
भागा करता था मैं
पीछे पीछे
छूना चाहा जब भी उनको
उड़ जाती थीं इतरा कर
इठला कर
मुझे थका कर ।
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