2122---1212--112/22
फ़ाइलातुन--मुफ़ाइलुन--फ़अ’ लुन
बह्र-ए-ख़फ़ीफ़ मुसद्दद मख़्बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन--मुफ़ाइलुन--फ़अ’ लुन
बह्र-ए-ख़फ़ीफ़ मुसद्दद मख़्बून महज़ूफ़
--- ----- ---
फिर वही इक नया बहाना है
जानता हूँ न तुम को आना है
छोड़िए दिल से खेलना मेरे
ये खिलौना भी टूट जाना है
तुम भी आते तो बात बन जाती
आज मौसम भी आशिकाना है
छोड़ कर दर तिरा कहाँ जाऊँ
हर जगह सर नहीं झुकाना है
आप से और क्या करूँ पर्दा
क्या बचा है कि जो छुपाना है
जिस्म का ये कबा न जायेगा
बाद इसको भी छोड़ जाना है
कौन रुकता है याँ किसी के लिए
एक ही राह सबको जाना है
आज तुमको हूँ अजनबी ’आनन’
राब्ता तो मगर पुराना है
-आनन्द.पाठक--
कबा = चोला ,लबादा
राब्ता /राबिता= संबंध
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें