ग़ज़ल 166
2122---1212---22
सर्द रिश्तों को ढूँढ कर रखना
अपने लोगों की भी ख़बर रखना
अपने लोगों की भी ख़बर रखना
आसमाँ पर नज़र तो रखते हो
इस ज़मीं पर भी तुम नज़र रखना
इश्क में पेच-ओ-ख़म हज़ारों हैं
सोच कर ही क़दम इधर रखना
लोग टूटे हुए हैं अन्दर से -
दिल से दिल साथ जोड़ कर रखना
जख़्म जैसे छुपाते रहते हो
ग़म छुपाने का भी हुनर रखना
पूछ लेना ज़मीर-ओ-ग़ैरत से
पाँव पर जब किसी के, सर रखना
ज़िन्दगी का सफ़र सहल होगा
मो’तबर एक हम सफ़र रखना
किसको फ़ुरसत ,तुम्हें सुने ’आनन’
बात रखना तो मुख्तसर रखना
-आनन्द,पाठक-