शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

अनुभूतियाँ 51

 
1
वचन दिया है ,वचन रखूँगा
नहीं खुलेगी ,ज़ुबाँ हमारी
तुम भी अपना कौल निभाना
दिल में रखना बातें सारी
 2
दुनिया वाले मुँह में तेरे
अपनी अपनी ज़ुबाँ रखेंगे
कह देना तुम खुल कर सबको
सो सच है वह बयाँ करेंगे
 3
सूरज के ढलने ढलने तक
माना लम्बा सफ़र है बाक़ी
कट जातीं सब राहें मुशकिल
साथ अगर तुम भी आ जाती
4
माथे पर चिन्तन रेखाएँ
बोल रहा है दरपन मेरा
वक़्त भला कब लौटायेगा
बीता निश्छल बचपन मेरा
-आनन्द.पाठक-

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