1
वचन दिया है ,वचन रखूँगा
नहीं खुलेगी ,ज़ुबाँ हमारी
तुम भी अपना कौल निभाना
दिल में रखना बातें सारी
अपनी अपनी ज़ुबाँ रखेंगे
कह देना तुम खुल कर सबको
सो सच है वह बयाँ करेंगे
माना लम्बा सफ़र है बाक़ी
कट जातीं सब राहें मुशकिल
साथ अगर तुम भी आ जाती
4
माथे पर चिन्तन रेखाएँ
बोल रहा है दरपन मेरा
वक़्त भला कब लौटायेगा
बीता निश्छल बचपन मेरा
-आनन्द.पाठक-
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