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दुनिया भर का बोझ उठाए
बेमतलब फिरती रहती हो
अपना ही ग़म कम तो नहीं जो
औरो का ग़म ख़ुद सहती हो
सोच रही हो बेमतलब का
कौन यहाँ किसका होता है
जीवन लम्बा एक सफ़र है
तनहा ही चलना होता है
मीठी मीठी बातों वाले
एक नहीं दस-बीस मिलेंगे
गली गली हर मोड़ मोड़ पर
तुम्हें झुकाते शीश मिलेंगे
मेरे जैसा इक्का-दुक्का
तुम्हें कहाँ हमदर्द मिलेगा
हो सकता है मिल भी जाए
लेकिन रिश्ता सर्द मिलेगा
-आनन्द.पाठक-
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