शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

अनुभूतियाँ 47

 
1
एक उसी के हम सब मोहरे
जितना चलाता ,उतना चलते
भाग्य-लेख में लिखा हुआ जो
लिखे हुए शब्द ,कहाँ बदलते
 
2
मैने छोड़ा ,तुमने तोड़ा
इन बातों का क्या मतलब है
जो होना था हो ही गया वह
इस दिल का क्या करना अब है
 
3
प्रिये ! तुम्हारा दोष नहीं था
मन पर अपने बोझ न रखना
यह भी है इक काम नियति का
समय समय पर हमें परखना
 
4
होना है जो होगा ही वह
लाख जतन जितना भी कर लो
मुठ्ठी खाली ही रहनी है
आजीवन जितना भी भर लो

-आनन्द.पाठक-

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