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एक उसी के हम सब मोहरे
जितना चलाता ,उतना चलते
भाग्य-लेख में लिखा हुआ जो
लिखे हुए शब्द ,कहाँ बदलते
मैने छोड़ा ,तुमने तोड़ा
इन बातों का क्या मतलब है
जो होना था हो ही गया वह
इस दिल का क्या करना अब है
प्रिये ! तुम्हारा दोष नहीं था
मन पर अपने बोझ न रखना
यह भी है इक काम नियति का
समय समय पर हमें परखना
होना है जो होगा ही वह
लाख जतन जितना भी कर लो
मुठ्ठी खाली ही रहनी है
आजीवन जितना भी भर लो
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