अनुभूतियाँ 46
1
सुनी सुनाई बात नहीं है
जो देखा सो मैने बोला
वक़्त गवाही देगा मेरी
सच का पट था मैने खोला
2
एक ज़माना वह भी था जब
बेल सी तुम लिपटी रहती थी
तूफ़ाँ बिजली से तुम डर कर
बाँहों में सिमटी
रहती थी
3
वक़्त सिखा देता है सबको
कोई सिखाए या न सिखाए
अपने अन्दर झाँकोंगे जब
जीवन क्या है ? समझ में आए
4
वक़्त बड़ा जालिम होता है
राजा तक को रंक बना दे
किले महल चौबारे सारे
धूल में जाने कब ये मिला दे
-आनन्द.पाठक-
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