शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

अनुभूतियाँ 48

 
1
यही जनम तो नहीं आख़िरी
बाद भी इसके कई जनम हैं
चाहूँगा हर जनम में तुमको
जबतक साँसों में दमख़म है
 2
अवचेतन मन में संचित है
भूली बिसरी याद पुरानी
तनहाई में मुझे सुनाती
बाक़ी थी जो प्रेम-कहानी
 3
कठिन समय में धीरज खोना
यह तो तुम्हारा काम नहीं था
लक्ष्य भेदने से पहले तक
तुमको तो आराम नहीं  था
 4
आशाओं की किरणें डूबी
और अँधेरा छाने वाला
छोड़ गया जो घर को अपने
लौट के कब वो आने वाला

-आनन्द.पाठक-

 

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