अनुभूतियाँ 44
1
टूट गया जब बन्धन ही तो
कोई क्या कहता है छोड़ो
रात गई फिर बात गई अब
नया किसी से रिश्ता जोड़ो
2
पढ़ लो मेरी आँखों में तुम
वही पुरानी एक शिकायत
मुझ पर ही बस सितमगरी है
औरों पर है खूब इनायत
3
यह भी कोई बात हुई क्या
मैं कुछ पूछूँ तुम ना बोलो
पहलू में भी आकर बैठॊ
और जुबाँ तक भी ना खोलो
4
पेड़ हरा था ,सूख गया जब
पात पात झड़ गए डाल के
तुमने सोचा, अच्छा सोचा
क्या करना मुझको सँभाल के
-आनन्द.पाठक-
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