1
एक हाथ से ताली कैसे
बजती होगी तुम्हीं बता दो
बिना आग के धुआँ कैसे
उठता होगा, ये समझा दो
ढूँढ ढूँढ कर लाती हो तुम
वो बातें जो नहीं गवारा
घुमा-फिरा कर आ जाती हो
उसी बिन्दु पर ,वहीं दुबारा
3
क्यों न या मैं द्वार तुम्हारे
भटक रहा था क्यों जीवन भर
और अन्त में होना ही था
अपनी करनी अपने सर पर
4
इस बादल में शेष नहीं अब
छूछा बादल, ओछा होगा
जितना था सब बरस चुका है
शायद तुम ने सोचा होगा
छूछा बादल, ओछा होगा
जितना था सब बरस चुका है
शायद तुम ने सोचा होगा
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