शुक्रवार, 21 मार्च 2025

माहिया 105

  चन्द माहिए 105/15 [ उस पार]

:1:

कलियाँ हैं जन्नत की

ख़ूशबू आती है

माली के मिहनत की ।

:2:

कुदरत का करिश्मा है 

कौन समझ पाया

उसकी क्या सीमा है ।

:3;

दर्या यह गहरा है

डूबा जो इसमें

फिर कब वो उबरा है!


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