गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

कविता 04

 एक कविता 04--


तुम जलाकर दीप
रख दो आँधियों में \
जूझ लेंगे जिन्दगी से
पीते रहेंगे
गम अँधेरा ,धूप ,वर्षा
सब सहेंगे \
बच गए तो रोशनी होगी प्रखर
मिट गए तो गम न होगा \
धूम-रेखा लिख रही होगी कहानी
"जिन्दगी मेरी किसी की भीख न थी --

-आनन्द पाठक---



यही कविता मेरी आवाज़ में सुने---

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