गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

कविता 10

  

कविता 10 

 

स्मृति वन से

एक पवन का झोंका आया

गन्ध पुरानी लेता आया ।

लगा खोलने जीवन की पुस्तक के पन्ने

हर पन्ना कुछ बोल रहा था।

कुछ पन्ने थे खाली खाली

कटे फ़टे कुछ, स्याही बिखरे

कुछ पन्नों पर कटी लाइने।

इक पन्ने पर अर्ध-लेख था-

एक अधूरी लिखी कहानी

जो लिखना था, लिख न सका था

जो न लिखा था पढ़ सकता हूँ

यादें फिर से गढ़ सकता हूँ ।

कुछ गुलाब की पंखुड़ियाँ थीं

हवा ले गई उसे उड़ा कर

अब न ज़रूरत उसको मेरी

यादें बस रह गई घनेरी

वह गुलाब-सी,

सजी किसी के गुलदस्ते में।

जीवन कहाँ रुका करता है

सब अपने अपने रस्ते में

यादों का क्या-

यादें आती जाती रहतीं

आँखें नम कर जाती रहतीं

 

-आनन्द पाठक-

यह कविता मेरी आवाज़ में सुनें--



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