गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

कविता 20

  कविता 20 : जाने क्यों ऐसा लगता है---


जाने क्यों ऐसा लगता है ?

उसने मुझे पुकारा होगा

जीवन की तरुणाई में, अँगड़ाई ले

दरपन कभी निहारा होगा

शरमा कर फ़िर, 

उसने मुझे पुकारा होगा ।

दिल कहता है

जाने क्यों ऐसा लगता है ?

--   -- 


कभी कभी वह तनहाई में 

भरी नींद की गहराई में 

देखा होगा कोई सपना

छूटा एक सहारा होगा,

 उसने मुझे पुकारा होगा

मन डरता है

जाने क्यों ऐसा लगता है ।

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सारी दुनिया सोती रहती

लेकिन वह 

रात रात भर जागा करता , तारे गिनता

टूटा एक सितारा होगा

फिर घबरा कर

उसने मुझे पुकारा होगा ।

जाने क्यों ऐसा लगता है ॥

जाने क्यों ऐसा लगता है ।

-आनन्द.पाठक-


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