गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

कविता 24

 कविता 24 :बदलते रिश्ते 


नहीं उतरते आसमान से 
कहीं फ़रिश्ते
नहीं दिखाते सच के रस्ते
लोग यहाँ ख़ुद गर्ज़ है इतने
बदले जैसे कपड़े, वैसे
रोज़ बदलते रहते रिश्ते ।

-आनन्द.पाठक-

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें