बह्र-ए-रमल मुरब्ब: सालिम
फ़ाइलातुन---फ़ाइलातुन2122----------2122
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हाथ क्या उन से मिलाते
उँगलियाँ अपनी कटाते
दुश्मनी तो ठीक है ,पर
दोस्ती कुछ तो निभाते
जाग कर सोए हुए -सा
हम तुम्हें फिर क्या जगाते
झूठ ही सच मानते हो
सच की बातें क्या बताते
आइने को कोसते हो
ख़ुद मुखौटे हो चढ़ाते
जब तुम्हें सुनना नहीं था
हाल-ए-दिल हम क्या सुनाते
दिल फ़क़ीराना है ’आनन’
मिलते रहना, आते जाते
-आनन्द.पाठक-
उँगलियाँ अपनी कटाते
दुश्मनी तो ठीक है ,पर
दोस्ती कुछ तो निभाते
जाग कर सोए हुए -सा
हम तुम्हें फिर क्या जगाते
झूठ ही सच मानते हो
सच की बातें क्या बताते
आइने को कोसते हो
ख़ुद मुखौटे हो चढ़ाते
जब तुम्हें सुनना नहीं था
हाल-ए-दिल हम क्या सुनाते
दिल फ़क़ीराना है ’आनन’
मिलते रहना, आते जाते
-आनन्द.पाठक-
सं 29-03-21
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