221----2122---// 221--2122
’क़ानून की नज़र में ,सब एक हैं ’-बता कर
रखते रसूख़वाले , पाँवो तले दबा कर
कल तक जहाँ खड़ा था ,"बुधना" वहीं खड़ा है
लूटा है रहबरों ने,सपने दिखा दिखा कर
जब आम आदमी की आँखों में हों शरारे
कर दे नया सवेरा ,सूरज नया उगा कर
क्या सोच कर गए थे ,तुम आइना दिखाने
अंधों की बस्तियों से , आए फ़रेब खा कर
जब दल बदल बदल कर! हासिल हुई हो कुरसी
फिर दीन क्या धरम क्या ,ईमान जब लुटा कर
उनका लहू बदन का ,अब हो गया है पानी
रखते ज़मीर अपना ,’संसद’ में हैं सुला कर
रखना इसे बचा कर ,यह देश है हमारा
सींचा सभी ने इसको ,अपना लहू बहा कर
’आनन’ ज़मीर तेरा ,अब तक नहीं मरा है
रखना इसे तू ज़िन्दा ,गर्दिश में भी बचा कर
-आनन्द.पाठक-
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