2122-- -1212-- --22
फ़ाइलातुन---मफ़ाइलुन---फ़े’लुन
मेरे जानाँ ! न आज़मा मुझको
जुर्म किसने किया ,सज़ा मुझको
ज़िन्दगी तू ख़फ़ा ख़फ़ा क्यूँ है ?
क्या है मेरी ख़ता ,बता मुझको
यूँ तो कोई नज़र नहीं आता
कौन फिर दे रहा सदा मुझको
नासबूरी की इंतिहा क्या है
ज़िन्दगी तू ही अब बता मुझको
होश फिर उम्र भर नहीं आए
जल्वाअपना कभी दिखा मुझको
मैं निगाहें मिला सकूँ उनसे
इतनी तौफ़ीक़ दे ख़ुदा मुझको
उनका होना भी है बहुत ’आनन’
देता जीने का हौसला मुझको
-आनन्द.पाठक-
शब्दार्थ
नासबूरी =अधीरता ,ना सब्री
तौफ़ीक़ =शक्ति,सामर्थ्य
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