शनिवार, 27 मार्च 2021

ग़ज़ल 19

 फ़ाइलातुन --फ़ाइलातुन--फ़ाइलुन

2122---2122----212
बह्र-ए-रमल मुसद्द्स महज़ूफ़
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एक ग़ज़ल : वह उसूलों पर चला है......

वह उसूलों पर चला है उम्र भर
साँस ले ले कर मरा है उम्र भर

जुर्म इतना है खरा सच बोलता
कटघरे में जो खड़ा है उम्र भर

पात केले की तरह संवेदना
वो बबूलों पर टंगा है उम्र भर

मुख्य धारा से अलग धारा रही
अपनी दुनिया में रहा है उम्र भर

वो भरोसा कर सदा मरता रहा
अपने लोगों ने छला है उम्र भर

घाव दिल के जो दिखा पाता अगर
स्वयं से कितना लड़ा है उम्र भर

राग दरबारी न’आनन’ गा सका
इस लिए सूली चढ़ा है उम्र भर

-आनन्द पाठक-
[सं 20-05-18]

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