नए वर्ष का स्वागत गीत
नए वर्ष की नव सुनहरी किरन से
अनागत समय की इबारत लिखेंगे
भला या बुरा जो गया बीत छोड़ो
उठो और देखो ,सुबह हो रही है
नई धूप आ कर खड़ी देहरी पे
कि संकल्प की अब घड़ी हो रही है
हृदय की पटल पे जो नफ़रत लिखा हो
मिटा कर उसे हम मुहब्बत लिखेंगे
अँधेरों की चाहे हो जितनी भी ताक़त
हमेशा चिरागां से डरते रहे हैं
बुझी राख से भी हैं शोले पनपते
हवाओं से मिल कर दहकते रहें हैं
क़लम के सिपाही हैं,अपना धरम है
हक़ीक़त है जो भी ,हक़ीक़त लिखेंगे
नए वर्ष में शान्ति की ज्योति फैले
सभी हों सुखी, बस यही कामना है
न बारूद का हो धुँआ,हो न दहशत
न साज़िश हो कोई ,यही भावना है
अगर पढ़ सको तो कभी आ के पढ़ना
अदावत के बदले रफ़ाक़त लिखेंगे
-आनन्द.पाठक-
09413395592
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