क़िस्त-49
:1:
ये इश्क़ है जान-ए-जां,
तुम ने क्या समझा
यह राह बड़ी आसां ?
:2:
ख़ामोश निगाहें भी,
कहती रहती हैं
कुछ मन की व्यथायें भी।
:3:
कुछ ग़म की
सौगातें,
जब से गई हो तुम
आँखों में कटी
रातें।
:4:
जाने वो किधर
रहता?
एक वही तो है,
जो सब की खबर
रखता।
5
क्या जानू किस
कारन ?
सावन भी बीता
आए न मेरे साजन
।
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