शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 51

 क़िस्त-51

 

:1:

सावन की घटा काली,

याद दिलाती है

जो शाम थी मतवाली !

 

 :2:

सावन के वो झूले,

झूले थे हम तुम

कैसे कोई भूले ?

 

 :3:

सावन की फुहारों से,

जलता है तन-मन

जैसे अंगारों से।

 

 ;4:

कब आएगी गोरी ?

पूछ रही मुझ से

मन्दिर की बँधी डोरी।

 

5

कुछ मेरी सुन माहिया,

गाता रहता है

दिल प्यार की धुन माहिया।

 

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