शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 52

 क़िस्त 52

:1:

जब प्यार भरे बादल,

सावन में बरसें,

भीगे तन-मन-आँचल।

 

 :2:

प्यासी आँखें तरसी,

बदली तो उमड़ी,

जाने न कहाँ बरसी ?

 

:3:

जब जब चमकी बिजली,

डरती रहती हूँ,

उन पर न गिरे, पगली !

 

 :4:

चातक की प्यास वही,

बुझ न सकी अबतक,

इक बूँद की आस रही।

 

5

ये दर्द हमारा है,

तनहाई में ज्यों,

तिनके का सहारा है।

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