शुक्रवार, 26 मार्च 2021

माहिया 53

 क़िस्त 53

:1:

 क़िस्मत की बातें हैं,

कुछ को ग़म ही ग़म,

कुछ को सौग़ातें हैं।

 

 :2:

कब किसने माना है,

आज नहीं तो कल,

सब छोड़ के जाना है।

 

 :3:

कब तक भागूँ मन से,

देख रहा कोई

छुप छुप कर चिलमन से।

 

 :4:

कब दुख ही दुख रहता,

किस के जीवन में,

बस सुख ही सुख रहता ?

 

5

लगनी है तो लगती,

आग मुहब्बत की

लगने पे नही बुझती।

 

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