गुरुवार, 25 मार्च 2021

गीत 59

 नए वर्ष की प्रथम भेंट है --

आप सभी  पाठक के सम्मुख........
एक गीत :- नए वर्ष की नई सुबह में....................

नए वर्ष की नई सुबह में ,
आओ मिल कर लिखें कहानी,ना राजा हो  ,ना हो रानी 

जड़ता का हिमखण्ड जमा था 
 शनै : शनै: अब लगा पिघलने
एक हवा ठहरी  ठहरी   सी 
 मन्थर  मन्थर  लगी  है  चलने  
प्राची की किरणों से रच दें
नव विकास  की नई कहानी ,आओ मिल कर लिखें कहानी

सूरज का रथ निकल पड़ा है 
राह रोकने वाले  भी हैं
भ्र्ष्ट धुन्ध की साजिश  मे रत
कुछ काले धन वाले भी है
सृजन करें एक सुखद अनागत
अनाचार की मिटा  निशानी,आओ मिल कर लिखें कहानी

उन्हें अँधेरा ही दिखता है
जहाँ रोशनी की बातें  हैं 
सत्य उन्हें  स्वीकार नही है
पर ’सबूत’ पर चिल्लाते हैं
उन पर हम क्या करें भरोसा
उतर गया  हो जिनका पानी,आओ मिल कर लिखें कहानी

क्षमा दया करुणा से भी हम
स्वागत के नव-गीत लिखेंगे
प्यार लुटाने निकल पड़े हैं
’नफ़रत’ है तो प्रीति लिखेंगे
करें नया संकल्प वरण हम
पुरा संस्कृति  है  दुहरानी ,आओ मिल कर लिखें कहानी

-आनन्द.पाठक--

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें