लगा दो प्रीति का चन्दन प्रिये ! इस बार होली में
महक जाए ये कोरा तन-बदन इस बार होली मेंये बन्धन प्यार का है जो कभी तोड़े से ना टूटे
भले ही प्राण छूटे पर न रंगत प्यार की छूटे
अकेले मन नहीं लगता प्रतीक्षारत खड़ा हूँ मैं
प्रिये ! अब मान भी जाओ हुई मुद्दत तुम्हे रूठे
कि स्वागत में सजा रखे हैं बन्दनवार होली में
जो आ जाओ महक जाए बदन इस बार होली में
सजाई हैं रंगोली इन्द्रधनुषी रंग भर भर कर
मैं सँवरी हूँ तुम्हारी चाहतों को ध्यान में रख कर
कभी ना रंग फ़ीका हो सजी यूँ ही रहूँ हरदम
समय के साथ ना धुल जाए यही लगता हमेशा डर
निवेदन प्रणय का कर लो अगर स्वीकार होली में
महक जाए ये कोरा तन-बदन इस बार होली में
ये फागुन की हवाएं है जो छेड़ें प्यार का सरगम
गुलाबी हो गया है मन ,शराबी हो गया मौसम
नशा ऐसा चढ़ा होली का ख़ुद से बेख़बर हूँ मैं
कि अपने रंग में रँग लो मुझे भी ऎ मेरे ,हमदम !
मुझे दे दो जो अपने प्यार का उपहार होली में
महक जाए ये कोरा तन-बदन इस बार होली में
-आनन्द,पाठक-
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