गुरुवार, 25 मार्च 2021

गीत 68

 गीत 68
नए वर्ष पर एक गीत : आशाओं की नई किरण से---

आशाओं की नई किरण से, नए वर्ष का स्वागत -वन्दन ,
नई सुबह का नव अभिनन्दन।

ग्रहण लग गया विगत वर्ष को 
उग्रह अभी नहीं हो पाया  ।
बहुतों ने खोए  हैं परिजन ,
"कोविड’ की थी काली छाया ।

इस विपदा से कब छूटेंगे, खड़ी राह में बन कर अड़चन ।
नई सुबह का नव अभिनन्दन।

देश देश आपस में उलझे
बम्ब,मिसाइल लिए खड़े हैं ।
बैठे हैं शतरंज बिछाए ,
मन में झूठे दम्भ भरे हैं ।

ऐसा कुछ संकल्प करें हम, कट जाए सब भय का बन्धन ।
नई सुबह का नव अभिनन्दन।

धुंध धुआँ सा छाया जग पर
साफ़ नहीं कुछ दिखता आगे ।
छँट जाएँगे काले बादल ,
ज्ञान-ज्योति जब दिल में जागे ।

हम सब को ही एक साथ मिल ,करना होगा युग-परिवर्तन ।
नई सुबह का नव अभिनन्दन।

मानव-पीढ़ी रहेगी ज़िन्दा ,
जब तक ज़िन्दा हैं मानवता ।
सत्य, अहिंसा ,प्रेम, दया का
जब तक दीप रहेगा जलता ।

महकेगा यह विश्व हमारा ,जैसे महके चन्दन का वन ।
नई सुबह का नव अभिनन्दन।


-आनन्द.पाठक--


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