सरस्वती वंदना
हंसवाहिनी ! ज्ञानदायिनी ! ज्ञान कलश भर दे !
माँ शारदे वर दे ।
मिटे तमिस्रा कल्मष मन का
मन निर्मल कर दो जन जन का
वीणापाणी ! सिर पर मेरे,वरद हस्त धर दे!
माँ! वागेश्वरी ! वर दे !
अंधकार पर विजय लिखे यह
सच के हक़ में खड़ी रहे यह
निडर लेखनी चले निरन्तर ,धार प्रखर कर दे !
!माँ भारती ! वर दे !
सप्त तार वीणा के झंकृत
हो जाते सब राग अलंकृत
बहे कंठ से स्वर लहरी माँ, राग अमर कर दे !
माँ सरस्वती ! वर दे ।
-आनन्द.पाठक-
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