अनुभूतियाँ 15
1
कितनी दूर चलेंगे हम तुम
सपनों की झूठी
छाया में
जीवन तो इक सख्त हक़ीक़त
कब तक जीना इस माया में
2
यक्ष ने क्या क्या और कहा था
मेघ ! तुम्हें जब दूत बना कर ?
मेरी पाषाणी को भी तुम
हाल बताना बढ़ा चढ़ा कर
3
मेघ ! ज़रा सा यह बतलाना
मिली थी क्या वो तुम से आकर?
हाल सुनी तो क्या बोली थी ?
या कि गई फिर आँख चुरा कर
4
अगर तुम्हें लगता है ऐसा
साथ छोड़ना ही अच्छा है
नया मिला हमराह तुम्हें जो
तुम से वह कितना सच्चा है
-आनन्द.पाठक-
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