गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

अनुभूतियाँ 12

 क़िस्त 12

1
साथ दिया है  तूने जितना
मुझ पर रही इनायत तेरी
तुझे नया हमराह मिला है 
फिर क्या रही ज़रूरत मेरी
2
रहने दे ’आनन’ तू अपना
प्यार मुहब्बत जुमलेबाजी
मेरे चाँदी के सिक्कों पर
कब भारी तेरी लफ़्फ़ाज़ी ?
 
3
दिल पर चोट लगी है ऐसे
ख़ामोशी से डर लगता है
सब तो अपने आस पास हैं 
लेकिन सूना घर लगता है
 
4
इक दिन तो यह होना ही था
कौन नई सी बात हुई  है
जिसको ख़ुशी समझ बैठा था
वो ग़म की सौगात हुई है


-आनन्द.पाठक-
 

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