सोमवार, 21 जून 2021

अनुभूतियाँ 68


269
मौसम आते मौसम जाते
और हवाओं की सरगोशी
कह देती हैं सारी बाते
एक तेरी लम्बी ख़ामोशी
 
270
इतना भी आसान नहीं है
बरसों का है साथ -भुलाना
भूल भले ही तुम जाओ,पर
मुझको है ताउम्र  निभाना
 
271
किसकी चिन्ता ,कैसी चिन्ता ?
दिल को रोना ,रो के रहेगा
टाल सका है कौन यहाँ कब
होना है जो हो के रहेगा
 
272
गया वक़्त फिर कब आता है
यादें रह जाती हैं मन में
कागज की थी नाव कभी, पर
बहुत भरोसा था बचपन में

-आनन्द.पाठक-

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