शनिवार, 18 सितंबर 2021

कविता 08

 

-कविता-08[ अतुकान्त]

कितना आसान होता है

किसी पर कीचड़ उछालना

किसी पर उँगली उठाना

आसमान पर थूकना

पत्थर फेकना।

मासूम परिन्दों को निशाना बनाना

कितना आसान लगता है

किसी लाइन को छोटा करना

उसे मिटाना

आग लगाना, आग लगा कर फिर फ़ैलाना

अच्छा लगता है

ख़ुद को बड़ा समझने का

तुष्टि अहम की हो जाती है

अपने को कुछ बड़ा दिखाना।

उसको सब अवसर लगता है

सच से उसको डर लगता है ।

 -आनन्द.पाठक- 

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