सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

माहिया 95

 क़िस्त 95/05


1

सपनों के शीश महल

टूट ही जाना है

सच, आज नहीं तो कल


2

चलने की तैय्यारी

आ मेरी माहिया

कुछ और निभा यारी


3

मेरी भी गली में आ

ओ मेरी माहिया !

 अपनी तो झलक दिखला


4

कांटों से भरी राहें

हों तेरे घर की

फिर भी तुमको चाहें


5

आसान नहीं होतीं

प्रेमनगर वाली

गलियाँ सँकरी होती


-आनन्द.पाठक-

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