मंगलवार, 22 अगस्त 2023

अनुभूतियाँ 102

 405

हो जाएँगी ख़ुशियाँ बोझिल

अगर न तुम इनको बाँटोगी

स्वर्ण महल में कब तक आख़िर

तनहा तनहा दिन काटोगी ?

 

406

वादे करनाक़समें खाना

उसकी आदत में शामिल है,

और न कोई एक निभाना

क्यों न कहूँ मैंवह बातिल है।

 

407

मन भारी थादर्द कमर में

रोज़ रोज़ के नए बहाने,

इश्क़ इबादतप्रेम समर्पण

क्या होता हैवह क्या जाने।

 

408

कब तक भोली बनी रहोगी

कब तक ये बचकानी बातें,

कब तक मैं समझाऊँ तुमको

कुछ तो करो सयानी बातें ।


 

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