क़िस्त 98/ 08
1
रितु बासंती आई
और नशा भरती
गोरी की अँगड़ाई
2
आ मेरे हमजोली
साथ सजाते है
आँगन की रंगोली
3
भूली बिसरी यादें
सोने कब देतीं
करती रहतीं बातें
4
कुछ ख़्वाब तुम्हारे थे
और थे कुछ मेरे
सब कितने प्यारे थे
5
जीवन भर चलना है
वक़्त कहाँ रुकता
गिरना है सँभलना है
-आनन्द.पाठक-
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