गुरुवार, 20 मार्च 2025

अनुभूतियाँ 141

 

अनुभूतियाँ 141/28

561
 रोज यहाँ हैं जीना मरना
सबको मिलती पहचान नही
क्या तुम को भी लगता ऐसा
जीना कोई आसान नहीं ? 

562
अफसाने हस्ती के फैले
खुशियों से लेकर मातम तक
कुछ ख्वाब छुपा कर बैठे थे
जाहिर न किए आखिर दम तक

563
मतलब की इस दुनिया में
रिश्तों का कोई अर्थ नहीं 
सदभाव अगर हो  दिल में तो
लगता है जैसे स्वर्ग वहीं 

564
जाना था जिसको चला गया
रोके से भला रुकता भी क्या
मुड़ कर न मुझे देखा उसने
मैं आँखे नम करता भी क्या ।

-आनन्द.पाठक-

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