शुक्रवार, 21 मार्च 2025

अनुभूतियाँ 165

  अनुभूतियाँ 165/52

657

राम-नाम का एक सहारा
जब जीवन में मिल जाता है
मन अपना पावन हो जाता
भक्ति-भाव भी खिल जाता है ।


658
अतुलित छवि है राम लला की
मधुर मधुर मुसकान अधर पर
कमल नयन है बदन कमल सा
बोल रहा हो मानो पत्थर ।

659
राम नाम की महिमा जग में
कौन नहीं जो जान रहा है ।
पत्थर पत्थर तक तर जाते
हर कोई यह मान रहा है ।


660
राम लला की पावन प्रतिमा
प्राण प्रतिष्ठा वाला शुभ दिन
इस अवसर के साक्षी बनने
काटी कितनी सदियाँ गिन गिन।

-आनन्द.पाठक-

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