मंगलवार, 22 अप्रैल 2025

दोहा 10

  

दोहा 10


राजनीति चमचागिरी ,यही सार या तत्व ।
जितने चमचे साथ हों,उतना अधिक महत्त्व ॥

मनसा वाचा कर्मणा ,नहीं हुआ जो भक्त ।
वह चमचा रह जाएगा .आजीवन अभिशप्त  ॥

नेता से पहले मिले ,चमचा जी से आप ।
'सूटकेस' के भार से ,कारज लेते भाँप ॥।

चमचों के दो वर्ग हैं , 'घर-घूसर' औ' 'भक्त ' ।
घर-घूसर निर्धन करे , भक्त चूस ले रक्त ॥

'घर-घूसर' घर में घुसे ,पीकदान ले आय ।
तेल लगा मालिश करे. नेता जी का काय ॥

भक्त चरण में लोटता .नेता जी का दास ।
जितनी आवे 'डालियाँ' .रख ले अपने पास ॥

'भैया''मालिक'मालकिन',कहता हो दिन-रात।
चरणों में बस लोटता , चाहे खावे लात ।।

-आनन्द.पाठक-

|| अथ श्रीचमचा पुराणस्यप्रथमोध्याय ||

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें