दोहा 10
राजनीति चमचागिरी ,यही सार या तत्व ।
जितने चमचे साथ हों,उतना अधिक महत्त्व ॥
मनसा वाचा कर्मणा ,नहीं हुआ जो भक्त ।
वह चमचा रह जाएगा .आजीवन अभिशप्त ॥
नेता से पहले मिले ,चमचा जी से आप ।
'सूटकेस' के भार से ,कारज लेते भाँप ॥।
चमचों के दो वर्ग हैं , 'घर-घूसर' औ' 'भक्त ' ।
घर-घूसर निर्धन करे , भक्त चूस ले रक्त ॥
'घर-घूसर' घर में घुसे ,पीकदान ले आय ।
तेल लगा मालिश करे. नेता जी का काय ॥
भक्त चरण में लोटता .नेता जी का दास ।
जितनी आवे 'डालियाँ' .रख ले अपने पास ॥
'भैया''मालिक'मालकिन',कहता हो दिन-रात।
चरणों में बस लोटता , चाहे खावे लात ।।
-आनन्द.पाठक-
|| अथ श्रीचमचा पुराणस्यप्रथमोध्याय ||
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