मंगलवार, 22 अप्रैल 2025

दोहा 22

 दोहा 22 : दोहे सामान्य

:1:

बातें उनकी लाख की, अपना ही गुणगान ।
ऊँची ऊँची फेंकते , पंडित बने महान ॥

:2:
बरगद की  छाया सदा, सबको एक समान ।
क्या राजा,क्या रंक हो, क्या साधू शैतान  ॥

:3:
अकस्मात वह हो गया जब से मालामाल ।
तब से चलने लग गया टेढ़ी टेढ़ी चाल ।।

:4:
रात घनेरी हो भले, नहीं छोड़ना आस ।
हिम्मत कभी न हारना, डिगे नहीं विश्वास ॥





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