गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

कविता 26

  कविता 26: चन्दन वन से


जब बबूल बन से गुज़रोगे
क्या पाओगे ?
राहों में  काँटे ही काँटे
दूर दूर तक  बस सन्नाटे ।

चन्दन बन से जब गुज़रोगे 
एक सुगन्ध 
भर जाएगी साँसों में
 सावधान भी रहना होगा
शाखों से लिपटे साँपों से ।

-आनन्द.पाठक-



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