क़िस्त 02
:1:
किस बात पे हो रूठे?
किस ने कहा तुम से,
सब रिश्ते हैं झूठे ?
:2:
जाना था, नहीं
आते,
आ ही गए हो तो
कुछ देर ठहर जाते |
:3:
जब तुम ने नहीं माना
सच को सच मेरा ,
दुनिया ने कब
जाना ।
:4:
आँखों के अन्दर
है,
तब तक हैं आँसू
निकले तो समन्दर
है |
:5:
आँसू में छुपा
है ग़म,
कहने को क़तरा,
दरिया से नहीं
है कम |
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