शनिवार, 20 मार्च 2021

अनुभूतियाँ 05

1
सच ही कहा था तुम ने उस दिन, 
" जा तो रही हूँ  सजल नयन से"
छन्द छन्द में उभरूँगी मैं,  
गीत लिखोगे कभी लगन से। "

2
सुख-दुख का ताना-बाना है,
जीवन है रंगीन  चदरिया ।
नयनो के जल से धोता हूँ,
हँसी खुशी यह कटे उमरिया।

3
बरसों से सच समझ रहे थे ,
लेकिन वह था भरम हमारा।
भला किया जो तोड़ गई तुम
आभारी दिल, करम तुम्हारा ।

4
दीप भले हो और किसी का
ज्योति प्रीत की आती तो है।
पीड़ा मेरी चुपके चुपके ,
किरनों से बतियाती तो है 


-आनन्द.पाठक-


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