शनिवार, 20 मार्च 2021

अनुभूतियाँ 06


1
खुशियों के हर रंग भरे हैं,
प्रीत मिला कर रंगोली में,
फ़ागुन आयासपने आए,
तुम भी आ जाते होली में।
 
2
एक बार में धुल जायेगा,
इन रंगों में क्या रख्खा है,
अगर लगाना है तो लगाना,
प्रीत-प्रेम का रंग सच्चा है।

 3
राधा करतीं मनुहारें हैं,
"देख न कर मुझ से बरजोरी
“छोड़ कलाई मोरी, कान्हा ! 
बातों में ना आऊँ तोरी” ।

 4
छोड़ मुझे,जाने दे घर को,
कान्हा ! मार न यूँ पिचकारी।
बड़े जतन से बचा रखी है,
कोरी चुनरियाकोरी सारी ।
 

-आनन्द.पाठक-

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