गुरुवार, 25 मार्च 2021

माहिया 05

 

क़िस्त 05

 

:01:

जब बात निकल जाती,

लाख जतन कर लो,

फिर लौट के कब आती ?

 

:02:

उनकी ये अदा कैसी ?

ख़ुद से छुपते  हैं,

देखी न सुनी  ऐसी ।

 

:03:

ऐसे न चलो हमदम !

लहरा कर जुल्फ़ें,

आवारा है मौसम ।

 

:04:

जीवन का सफ़र मुश्किल,

हो जाता आसां,

मिलता जब दिल से दिल ।

 

:05:

जब क़ैद ज़ुबाँ होती,

बेबस आँखें तब

अन्दाज-ए--बयाँ होती ।

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