गुरुवार, 25 मार्च 2021

माहिया 06

 

क़िस्त 06

01

ख़ुद से कुछ कहता है,

तनहाई में दिल,

जब खोया रहता है।

 

02

फिर लौट के कब आना,

आज नहीं तो कल,

इक दिन तो हमें जाना।

 

03

परदा ये उठाना है,

आस बँधी तुम से,

जीने का बहाना है।

 

04

जो दर्द हैं जीवन के,

कह देते हैं सब

दो आँसू विरहन के।

 

05

ख़ंज़र से न गोली से,

नफ़रत मरती है,

इक प्यार की बोली से।

 

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