क़िस्त 06
01
ख़ुद से कुछ कहता है,
तनहाई में दिल,
जब खोया रहता है।
02
फिर लौट के कब आना,
आज नहीं तो कल,
इक दिन तो हमें जाना।
03
परदा ये उठाना
है,
आस बँधी तुम से,
जीने का बहाना
है।
04
जो दर्द हैं
जीवन के,
कह देते हैं सब
दो आँसू विरहन
के।
05
ख़ंज़र से न गोली
से,
नफ़रत मरती है,
इक प्यार की
बोली से।
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