गुरुवार, 25 मार्च 2021

माहिया 08

 

क़िस्त 08

 

01

कुछ याद तुम्हारी है,

उस से ही दुनिया,

आबाद हमारी है

 

02

जबतक कि सँभल पाता,

राह-ए-उल्फ़त में,

ठोकर हूँ नई खाता

 

03

लहराओ न यूँ आँचल,

दिल का भरोसा क्या !

हो जाए न फिर पागल

 

04

जीने का जरिया था,

सूख गया वो भी,

जो प्यार का दरिया था

 

05

गिरते न बिखरते हम,

काश! सफ़र में तुम,

चलते जो साथ सनम

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