क़िस्त 09
01
दुनिया के ताने क्यों ?
प्यार अगर सच है,
मिलने में बहाने क्यों ?
02
मन में हैं वृन्दावन,
साँसों में राधा,
हर साँस में मनमोहन।
03
सौ बार कहा हमने,
भूल उसे जाओ,
कब बात सुनी ग़म ने।
04
जो बात लबों पर
है,
कहना है कह दो,
किस बात का अब
डर है?
05
मुश्किल से मिली
हो तुम
बाँहों में आ कर,
रहती हो क्यों गुमसुम ?
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