गुरुवार, 25 मार्च 2021

माहिया 10

 

क़िस्त 10

01

रंगोली आँगन की

देख रही राहें,

छुप छुप कर साजन के ।

 

02

धोखा ही सही माना,

अच्छा लगता है,

तुम से धोखा खाना।

 

03

औरों से रज़ामन्दी,

महफ़िल में तेरी,

मेरी ही ज़ुबाँबन्दी।

 

04

माटी से बनाते हो,

क्या मिलता है जब

माटी में मिलाते हो ?

 

05

सच, वो न नज़र आता,

कोई है दिल में,

जो राह दिखा जाता।

 

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