क़िस्त 11
1
उल्फ़त की राहों से,
कौन नहीं गुज़रा
मासूम गुनाहों से।
2
आँसू न कहो इसको,
एक हिक़ायत है,
चुपके से पढ़ो इसको।
3
कुछ वस्ल की बातों
में,
उम्र कटी मेरी
कुछ हिज्र की
रातों में।
4
ये किसकी
निगहबानी,
हुस्न है बेपरवा
और इश्क़ की
नादानी।
5
तेरी चाल शराबी
है,
क्यूँ न बहक
जाऊँ,
मौसम भी गुलाबी
है।
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