गुरुवार, 25 मार्च 2021

माहिया 13

 

 

क़िस्त 13

1

इक अक्स उतर आया,

दिल के शीशे में,

फिर कौन नज़र आया !

 

2

ता उम्र रहा चलता,

ख़्वाब मिलन का था,

आँखों में रहा पलता ।

 

 

3

तुम से न कभी सुलझें,

अच्छी लगती हैं,

बिखरी बिखरी जुल्फ़ें।

 

4

गो दुनिया फ़ानी है

चाहे जैसी हो,

लगती तो सुहानी है।

 

5

सब मज़हब में उलझे,

मज़हब के आलिम

इन्सां को नहीं समझे।

 

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